Thursday, January 6, 2011

ग़ज़ल

दिल लुटने का सबब

हम को किसके ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही

दिल के लुटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही

नफ़रतों के तीर खाकर दोस्तों के शहर में
हमने किस किस को पुकारा ये कहानी फिर सही

क्या बताएं प्यार की बाज़ी वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा ये कहानी फिर सही

-Masroor Anwar
'हिंदुस्तान , पृष्ठ 9 , 7-1-2011'

Monday, December 27, 2010

तंग कपड़े

ये कपड़े तंग सिलवाना तुझे ज़ेबा नहीं देता
किसी के दिल को तड़पाना तुझे ज़ेबा नहीं देता

गले में डाल दे बांहें मिला दे सांस से सांसें
लबे मंज़िल से लौटाना तुझे ज़ेबा नहीं देता

Sunday, November 14, 2010

पहला शेर

हमारे दिल पे जो जख्मों का बाब लिखा है
उसी में वक्त का सारा हिसाब लिखा है ।
तेरे वजूद को महसूस उम्र भर होगा
तेरे लबों पे जो हमने जवाब लिखा है ।